घर चाहें आलू छीलें,वो बैठें फेसबुक खोले। बूढ़े भी हैं लिखते आजकल आइ एम स्टूडेन्ट, सोच रहें हैं इसी... घर चाहें आलू छीलें,वो बैठें फेसबुक खोले। बूढ़े भी हैं लिखते आजकल आइ एम स्टूडेन्...
ये साइट पता नहीं क्यों क्यों? ये साइट पता नहीं क्यों क्यों?
सोशल साईट् सोशल साईट्
कुछ भी तो नहीं शायद टुकड़े में बंटे आदमी की नियति यही है। कुछ भी तो नहीं शायद टुकड़े में बंटे आदमी की नियति यही है।
इंद्रजाल के माया में उलझ के हर कोई बना दास इसका ,जिसे देखो व्हाट्सएप चलावे क्या बच्चा क्या बूढ़ा। ..... इंद्रजाल के माया में उलझ के हर कोई बना दास इसका ,जिसे देखो व्हाट्सएप चलावे क्या...
सोशल मीडिया के हमारे जीवन को अच्छा और आराम से जीवन जीना सिखाया है, इसने अच्छे के स सोशल मीडिया के हमारे जीवन को अच्छा और आराम से जीवन जीना सिखाया है, इस...